Monday, June 11, 2018

अटल बिहारी वाजपेयी को आज AIIMS से मिल सकती है छुट्टी, सुबह 11 बजे जारी हो सकता है मेडिकल बुलेटिन

नई दिल्ली: यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के कारण अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को मंगलवार यानी आज यहां से छुट्टी मिल सकती है. एम्स सुबह 11 बजे के करीब मेडिकल बुलेटिन जारी कर वाजेपयी के स्वास्थ्य की हालत के बारे में बता बताएगा. पहले मेडिकल बुलेटिन सुबह 9 बजे जारी किए जाने की संभावना जताई गई थी. इससे पहले अस्पताल की ओर से रात पौने ग्यारह बजे जारी स्वास्थ्य बुलेटिन में एम्स ने कहा है कि वाजपेयी को लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और किडनी संबंधी दिक्कतों के बाद भर्ती कराया गया. जांच में उन्हें यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन निकला है.

बुलेटिन में कहा गया कि वाजपेयी का उचित इलाज किया जा रहा है और उन्हें डॉक्टरों की एक टीम की निगरानी में रखा गया है.

इससे पहले अस्पताल ने बताया था कि लंबे समय से बीमार चल रहे वाजपेयी को नियमित जांच और परीक्षण के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उनकी हालत स्थिर बनी हुई है.

अस्पताल की ओर से जारी बयान के अनुसार , एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम 93 वर्षीय नेता के स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण कर रही है.

पीएम मोदी और राहुल गांधी ने एम्स पहुंचकर लिया हालचाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी वाजपेयी के स्वास्थ्य की जानकारी लेने एम्स पहुंचे. आधिकारिक बयान के अनुसार , मोदी ने डॉक्टरों से भेंट कर वाजपेयी के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली. मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार के सदस्यों से भी भेंट की. बयान के अनुसार , प्रधानमंत्री करीब 50 मिनट तक अस्पताल में रुके.

आडवाणी भी वाजपेयी को देखने पहुंचे
बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी , गृहमंत्री राजनाथ सिंह , बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह , कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी , स्वास्थ्य मंत्री जयप्रकाश नड्डा और पर्यावरण मंत्री हर्षवर्द्धन भी बीमार नेता को देखने पहुंचने वालों में शामिल रहे.

बीजेपी ने एक बयान में कहा कि वाजपेयी के इलाज को लेकर अमित शाह ने डॉक्टरों से लंबी बातचीत की. वह अस्पताल में पूर्व प्रधानमंत्री के परिजनों से भी मिले.

केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल ने संवाददाताओं से कहा कि वाजपेयी का यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन का इलाज चल रहा है और आशा है कि कल उन्हें छुट्टी मिल जाएगी.

वाजपेयी 1998 से 2004 तक देश के प्रधानमंत्री थे. उनका स्वास्थ्य खराब होने के साथ ही धीरे - धीरे वह सार्वजनिक जीवन से दूर होते चले गए और कई साल से अपने आवास तक सीमित हैं.

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यात्रियों से अवैध वसूली का विरोध किया तो GRP के सिपाहियों ने TTE को बेरहमी से पिटा

नई दिल्‍ली : यात्रियों से अवैध वसूली का विरोध करने पर जीआरपी के सिपाहियों ने रेलवे के दो टीटीई की जमकर पिटाई कर दी. जीआरपी के सिपाहियों का कहर यहीं नहीं रुका, उन्‍होंने ट्रेन में सवार मुसाफिरों से न केवल मारपीट की बल्कि उनके पास मौजूद नगदी और पहचान पत्रों को जबरन छीन लिया. ट्रेन में अपनी हर हद को लांघ चुके इन दोनों सिपाहियों के खिलाफ पीड़ित टीटीई ने साहिबाबाद जीआरपी थाना में मामला दर्ज करा पूरी घटना की जानकारी जीआरपी मुख्‍यालय को भेज दी है. वहीं अपनी 'करनी' में खुद को फंसता देख दोनों सिपाहियों ने भी पीड़ित टीटीई के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. जीआरपी के वरिष्‍ठ अधिकारियों ने प्रथमदृष्‍टया दोषी मानते हुए दोनों सिपाहियों को निलंबित कर विभागीय जांच के आदेश दे दिए हैं.

रेलवे सूत्रों के अनुसार, यह मामला भिवानी से कानपुर जाने वाली कालिंदी एक्‍सप्रेस (14724) का है. आरोप है कि ट्रेन की सुरक्षा में तैनात जीआरपी के सिपाही गंभीर सिंह और सतेंद्र सिंह कोच संख्‍या S-4 में यात्रियों से अवैध वसूली कर रहे थे. जिसने रुपए दिया तो ठीक, नहीं तो दोनों सिपाहियों की बेरहम मार को झेल रहे थे. इसी बीच, किसी यात्री ने दोनों सिपाहियों की करतूर के बाबत ट्रेन के हेड टीटीई सीपी गर्ग को जानकारी दी. हेड टीटीई सीपी गर्ग अपने साथी टीटीई सरतलाल मीणा के साथ S-4 कोच में पहुंच गए. अवैध वसूली पर उन्‍होंने एतराज जताया तो दोनों सिपाहियों ने उन पर भी हमला कर दिया. दोनों सिपाही हेड टीटीई सीपी गर्ग और टीटीई सरतलाल मीणा को बेहरमी से पीटने लगे. पहले कोच में मौजूद यात्री डर के चलते मूकदर्शक बने देखते रहे. कुछ देर बाद कुछ यात्रियों ने हिम्‍मत जुटाई और दोनों टीटीई को सिपाहियों के चंगुल से आजाद कराया. दोनों टीटीई ने तत्‍काल इस पूरी घटना के बाबत रेलवे के वरिष्‍ठ अधिकारियों की इसकी जानकारी दी.

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Friday, June 8, 2018

भारत की बेटी ने जापान में लहराया तिरंगा, एशियाई जूनियर एथलेटिक्स में जीता गोल्ड

गिफू (जापान): भारतीय धावक जिसना मैथ्यूज ने एशियाई जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के दूसरे दिन 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक अपने नाम किया. चैम्पियनशिप में पांच अन्य भारतीय खिलाड़ियों ने कांस्य पदक जीता जिससे देश के नाम अब दो स्वर्ण, एक रजत और सात कांस्य पदक हो गए हैं. टूर्नामेंट में जीत की प्रबल दावेदार जिसना महिलाओं की 400 मीटर की दौड में 53.26 सेकेंड के समय के साथ शीर्ष पर रहीं. श्रीलंका की दिलशी कुमारसिंघे (54.03 सेकेंड) को रजत और चीनी ताइपै की जुइ-हस्युआन यांग (54.74) को कांस्य पदक मिला.

जिसना पीटी उषा एथलेटिक्स स्कूल में प्रशिक्षण लेती हैं, जिनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 52.65 सेकेंड का है. उन्होंने इससे पहले सीनियर एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य और चार गुणा 400 रिले स्पर्धा में स्वर्ण जीते है. वह रियो ओलंपिक 2016, और लंदन विश्व चैम्पियनशिप 2017 में भाग लेने वाली चार गुणा 400 रिले स्पर्धा में भारतीय दल का हिस्सा था.

इस बीच लंबी कूद में जूनियर राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी खिलाड़ी एम श्रीशंकर अपने निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 7.99 मीटर को नहीं दोहरा सके. उन्होंने 7.47 मीटर की कूद के साथ कांस्य पदक हासिल किया.

गोलाफेंक में 2016 में रजत पदक जीतने वाले अजय भालोथिया अपने पदक का बचाव करने में सफल रहें. उन्होंने छह किलो के गोले को 18.22 मीटर दूर फेंका. भालोथिया भी अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (18.53) को नहीं दोहरा पाएं.

भारत को दो अन्य कांस्य पदक पुरुषों के 10000 मीटर और महिलाओं की 1500 मीटर दौड़ में क्रमश : कार्तिक कुमार और दुर्गा प्रमोद देवरे को मिले.

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Thursday, June 7, 2018

RSS के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी के शिरकत करने से नाराज हुए अहमद पटेल, ट्विटर पर लिखा...

नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर देश की राजनीति गर्माई हुई है. प्रणब मुखर्जी के इस कदम से कांग्रेस नेता नाराज हैं और अब खुलकर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने प्रणब मुखर्जी के संघ के समारोह में जाने को लेकर कहा कि 'मैंने प्रणब दा से इसकी उम्मीद नहीं की थी!'

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी उठाए सवाल
संघ के कार्यक्रम में प्रणब के शामिल होने पर कांग्रेस के अलावा उनके परिजनों ने भी सवाल उठाए हैं. प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बुधवार (6 जून) को कहा कि उनके पिता नागपुर जाकर ‘बीजेपी और आरएसएस को फर्जी खबरें गढ़ने और अफवाहें फैलाने’ की सुविधा मुहैया करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनके ‘‘भाषण तो भुला दिए जाएंगे, लेकिन तस्वीरें (विजुअल्स) रह जाएंगी.’’

शर्मिष्ठा ने ट्वीट किया, 'आशा करती हूं कि प्रणब मुखर्जी को आज की घटना से इसका अहसास हो गया होगा कि भाजपा का डर्टी ट्रिक्स विभाग किस तरह काम करता है'. उन्होंने कहा, 'यहां तक कि आरएसएस कभी यह कल्पना भी नहीं करेगा कि आप अपने भाषण में उनके विचारों का समर्थन करेंगे, लेकिन भाषण को भूला दिया जाएगा और तस्वीरें रह जाएंगी तथा इनको फर्जी बयानों के साथ फैलाया जाएगा'. शर्मिष्ठा ने कहा, 'आप नागपुर जाकर भाजपा/आरएसएस को फर्जी खबरें गढ़ने, अफवाहें फैलाने और इनको किसी न किसी तरह विश्वसनीय बनाने की सुविधा मुहैया करा रहे हैं और यह तो सिर्फ शुरुआत भर है.

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Tuesday, June 5, 2018

EXCLUSIVE: क्या टल जाएगा वोडाफोन-आइडिया का मर्जर? बैंकों को यह डर

नई दिल्ली: आइडिया और वोडाफोन इंडिया का मर्जर अपने अंतिम दौर में है. जून के अंत तक मर्जर पूरा हो सकता है. लेकिन, उससे पहले बैंकों को प्रस्तावित मर्जर से डर लग रहा है. दरअसल, बढ़ते NPA और फंसे कर्ज से बैंकों की हालत खस्ता है. खासकर टेलीकॉम सेक्टर से उसे बड़ा नुकसान हुआ है. देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने आइडिया-वोडाफोन के प्रस्तावित मर्जर पर संदेह उठाया है. आइडिया के वर्किंग कैपिटल की लिमिट रिन्यू के प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए SBI ने यह संदेह उठाया. प्रस्ताव से बैंक के कुछ दस्तावेजों को DNA ने एक्सेस किया है. इसमें आइडिया के बड़े नुकसान की चर्चा है, जिसमें वोडाफोन को लेकर यह चिंता जाहिर की गई है कि इससे वोडाफोन इंडिया मर्जर से बाहर हो सकती है.

वोडाफोन ने दी सफाई
हालांकि, आइडिया सेल्युलर ने बार-बार पूछने पर भी डीएनए के सवालों का जवाब नहीं दिया. वहीं, वोडाफोन ने इस तरह की अटकलों को बिल्कुल बेबुनियाद करार दिया है. वोडाफोन के एक प्रवक्ता ने डीएनए को भेजे एक ई-मेल के जवाब में कहा कि विलय के लिए जरूरी मंजूरी ली जा चुकी हैं. डीएनए के सवाल के जबाव में SBI के प्रवक्ता ने कहा कि यह पॉलिसी से जुड़ा मामला है, बैंक इस मामले में कोई जवाब नहीं दे सकता है.

जियो की वजह से हुआ बड़ा नुकसान
रिलायंस जियो के टेलीकॉम इंडस्ट्री में सस्ते डाटा ऑफर करने से आइडिया और वोडाफोन जैसी कंपनियों को प्राइस वॉर का सामना करना पड़ा, जिससे उन्हें बड़ा घाटा हुआ है. आइडिया की आय में कमी, फाइनेंसिंग चार्ज और स्पेक्ट्रम नहीं मिलने की वजह से काफी नुकसान हुआ है. यह पूरी इंडस्ट्री पर लागू होता है.

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Monday, June 4, 2018

ICICI बैंक को चाहिए नया चेयरमैन, रेस में सबसे आगे 'माल्या' का नाम

नई दिल्ली: आईसीसीआई बैंक के बोर्ड आगे एक के बाद एक मुश्किल आ रही हैं. सीईओ चंदा कोचर विवाद के बाद अब एक नई मुसीबत ने बोर्ड को घेर लिया है. दरअसल, बोर्ड बैंक के नए चेयरमैन की तलाश कर रहा है. लेकिन, फिलहाल जितने भी दिग्गजों के नाम सामने आए हैं वो शायद बैंक चेयरमैन बनने को तैयार नहीं. लेकिन, फिर कुछ नाम हैं जो इस रेस में आगे हैं. बता दें, बैंक के मौजूदा चेयरमैन एमके शर्मा का कार्यकाल इस महीने खत्म हो रहा है. एमके शर्मा ने दूसरा कार्यकाल लेने से भी इनकार कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक, बोर्ड को आईसीआईसीआई बैंक को क्राइसिस से निकालने के लिए एक योग्य बैंकर की जरूरत है. हालांकि, अभी तक कोई नाम फाइनल नहीं हुआ है, लेकिन रेस में सबसे आगे 'माल्या' का नाम है.

कौन हैं माल्या, जिनका नाम है आगे?
इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, बैंक के चेयरमैन बनने की रेस में बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर एम. डी माल्या का नाम सबसे आगे चल रहा है. माल्या के पास कई बैंकों में काम करने का अनुभव है. वो पहले बैंक ऑफ महाराष्ट्र, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और कॉरपोरेशन बैंक में भी लीडरशिप पोजिशन पर रह चुके हैं. 2010 और 2012 में उन्हें बैंकर ऑफ द ईयर अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है. सूत्र के मुताबिक, बोर्ड के कुछ मेंबर माल्या को यह पद देने के पक्ष में हैं. माल्या को ही इस पद के लिए फेवरेट माना जा रहा है.

बोर्ड क्या चाहता है?
बैंक के बोर्ड में फिलहाल एक नाम को लेकर सहमति नहीं बनी है. कुछ मेम्बर्स एम डी माल्या के नाम पर अड़े हैं, वहीं कुछ बोर्ड मेंबर अब भी एम के शर्मा को ही दूसरा कार्यकाल देने के पक्ष में हैं. सूत्रों के मुताबिक, कुछ बोर्ड मेंबर 70 साल के मौजूदा चेयरमैन को पद पर कुछ समय तक बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन खुद शर्मा ऐसा नहीं चाहते. उन्हें 1 जुलाई 2015 को तीन साल के लिए बैंक का नॉन-एग्जिक्युटिव चेयरमैन बनाया गया था. कानून के मुताबिक, नॉन-एग्जिक्युटिव डायरेक्टर के अप्वाइंटमेंट के लिए अधिकतम उम्र 75 साल तय है.

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Friday, June 1, 2018

क्या मुस्लिम वोटरों के बीच अब नहीं चल रहा है नीतीश कुमार का जादू, 5 बड़ी बातें

पटना: 'सोशल इंजीनियर' में माहिर समझे जाने वाले और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (युनाइटेड) की जोकीहाट उपचुनाव में करारी हार के बाद बिहार की सियासी फिजा में यह सवाल तैरने लगा है कि क्या मुस्लिमों का नीतीश से मोहभंग हो गया है? राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की पहली पारी के दौरान नीतीश की पार्टी के नेता चुनाव में जहां मुस्लिम मतदाताओं को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर 'शिफ्ट' कराने का दावा किया करते थे, वहीं आज जद (यू) 70 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं वाली अपनी परंपरागत जोकीहाट सीट नहीं बचा पाई.

                                                                      5 बड़ी बातें

1.जोकीहाट सीट पर साल 2005 से ही जद (यू) का कब्जा था. हाल में अररिया संसदीय क्षेत्र और जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव के हालिया परिणामों से साफ है कि जद (यू) से मुस्लिम मतदाताओं का मोह टूट रहा है.

2.साल 2005 में लालू विरोधी लहर पर सवार होकर नीतीश कुमार ने जब बिहार की सत्ता संभाली थी, तब उन्होंने मुस्लिम वोट बैंक को साधना शुरू किया था. जिसमें वह काफी हद तक सफल भी हुए.

3.इसके बाद साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव परिणाम में मुस्लिम बहुल सीमांचल की चार सीटों- अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज में से तीन पर भाजपा के प्रत्याशी विजयी रहे थे.

4.बिहार के एनडीए में 'बड़े भाई' की भूमिका में नजर आ रही नीतीश की पार्टी ने तब मुस्लिम मतदाताओं के वोटो को शिफ्ट कराने का दावा कर भाजपा के लिए 'छोटे भाई' की भूमिका तय कर दी थी.

5.इधर, साल 2014 में राज्य की सियासत में बड़ा बदलाव आया. नीतीश भाजपा से अलग होकर अकेले चुनाव लड़े, जिसमें उन्हें जबरदस्त हार मिली. पूरे राज्य में आरजेडी भी नरेंद्र मोदी की आंधी में बह गई.

Source:-NDTV

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